Modern History of india
उत्तर कालीन मुगल सम्राट
- उतराधिकारी युद्ध में गुरु गोविंद सिंह ने बहादुरशाह का साथ दिया था।
- मुगल सम्राट मोहम्मद शाह ने शहादत खान को बुरहान उल मुल्क की उपाधि दी। शहादत खान का असली नाम मीर मोहम्मद अमीन था।
- बहादुर शाह का पूर्व नाम मुअज्जम था।
- बहादुर शाह को शाह ए खबर के उपनाम से पुकारा जाता था।
- जहांदर शाह ने अपने शासनकाल में लाल कुमारी नाम की वेश्या को हस्तक्षेप करने का आदेश दे रखा था।
- मुगलकालीन इतिहास में सैयद बन्धु हुसैन अली खां एवं अब्दुल्ला खां को शासक निर्माता के रूप में जाना जाता है।
- जहांदर शाह को लंपट मूर्ख भी कहा जाता था।
- फर्रूखसियर को मुगल वंश का घृणित कायर कहा गया है।
- सुंदर युवतियों के प्रति अत्यधिक रुझान के कारण मोहम्मद शाह को रंगीला बादशाह कहा जाता था।
- तुरानी सैनिक हैदर बेग ने 9 अक्टूबर 1720 को सैयद बन्धु हुसैन अली खान की हत्या कर दी।
- मोहम्मद शाह के शासनकाल में ही हैदराबाद के चिंकिलिच खां ने निजाम उल मुल्क की उपाधि धारण की और 1725 ई. में स्वतंत्र राज्य की स्थापना की।
- हैदराबाद की स्थापना तूरानियों ने एवं अवध की स्थापना ईरानियों ने की थी।
- ईरान के सम्राट नादिरशाह ने 1739 ई में दिल्ली पर आक्रमण किया उस समय दिल्ली का शासक मुहम्मद शाह।
- नादिरशाह को ईरान का नेपोलियन कहा जाता है।
- नादिर शाह लगभग ₹70 करोड़ की धनराशि और शाहजहां का बनवाया हुआ तख्ते हाउस ( peacock – Throne ) तथा कोहिनूर हीरा लेकर ईरान लौट गया।
- तख्ते हाउस पर बैठने वाला अंतिम मुगल शासक मुहम्मद शाह था।
- शाह आलम -11 ( अली गैहर ) के शासनकाल में 1803 ई. में अंग्रेजों ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया।
- पानीपत का तृतीय युद्ध 1761 ई. में मराठा एवं अहमदशाह अब्दाली की सेना के बीच हुआ इस युद्ध में मराठों की हार हुई थी।
- अहमद शाह अब्दाली का वास्तविक नाम अहमद खां था इसने भारत पर 8 बार आक्रमण किया।
- गुलाम कादिर खां ने 1806 ई. में शाह आलम -11 की हत्या करवा दी।
- बहादुर शाह -11 ( जफर ) अंतिम मुगल सम्राट था।
- 1857 ई. की क्रांति में भाग लेने के कारण अंग्रेजों द्वारा बहादुर शाह जफर को बंदी बना लिया गया एवं रंगून भेज दिया।
- लाल किला स्थित हीरा महल बहादुर शाह जफर ने बनवाया था।
- मशहूर शायर मिर्जा गालिब बहादुर शाह जफर के ही समय दिल्ली में रहते थे।
- हयात बक्श बाग लाल किला दिल्ली में स्थित है।
भारत में यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों का आगमन
- 17 मई 1498 ई. में वास्कोडिगामा ने भारत के पश्चिमी तट पर स्थित कालीकट बंदरगाह पहुंचकर भारत एवं यूरोप के बीच नए समुद्री मार्ग की खोज की इस यात्रा में वास्कोडिगामा को गुजराती पथ प्रदर्शक अब्दुल मजीद ने सहयोग किया था।
- 1505 ई. में फ्रांसिस्को द अलमेडा भारत में प्रथम पुर्तगाली वायसराय बनकर आया।
- 1509 ई. में अल्फांसो द अल्बुकर्क भारत में पुर्तगालियों का वायसराय बना इसने 1510 ई. में बीजापुर के युसूफ आदिल शाह से गोवा को जीता।
- पुर्तगालियों ने अपनी पहली व्यापारिक कोठी कोचीन में खोली।
- दक्षिण पूर्वी तट पर पुर्तगालियों की एकमात्र बस्ती सन – थोमे थी।
- पुर्तगालियों के बाद भारत में डच लोग आए पहला डच यात्री कार्नेलियन डी हाउटमैन 1596 ई. में भारत के पूर्व सुमात्रा पहुंचा।
- डचों ने अपनी पहली व्यापारिक कोठी 1605 ई. में मसूलीपट्टनम में स्थापित की डचों की दूसरी व्यापारिक कोठी पुलीकट में स्थापित हुई , जहां उन्होंने अपने स्वर्ण सिक्के को ढाला और पुलीकट को ही समस्त गतिविधियों का केंद्र बनाया।
- भारत में प्रथम बार औद्योगिक वेतन भोगी डचों ने रखा था।
- डचों का भारत में अंतिम रूप से पतन 1759 ई. को अंग्रेजों एवं डचों के मध्य हुए वेदरा युद्ध से हुआ।
- 31 दिसंबर 1600 ई. को इंग्लैंड की रानी एलिजाबेथ प्रथम ने ईस्ट इंडिया कंपनी को अधिकार पत्र प्रदान किया।
- प्रारंभ में ईस्ट इंडिया कंपनी में 217 साझीदार थे और पहला गवर्नर टामस स्मिथ था।
- मुगल दरबार में जाने वाला प्रथम अंग्रेज कैप्टन हॉकिंस था जो जेम्स प्रथम के राजदूत के रूप में अप्रैल 1609 ई. में जहांगीर के दरबार में गया था।
- भारत आने वाला पहला अंग्रेजी जहाज रेड ड्रैगन था। अंग्रेजों ने सर्वप्रथम व्यापारिक कोठी 1611 ई. में दक्षिण पूर्व समुद्र तट पर मसूलीपट्टम में खोली।
- जहांगीर ने 1613 ई. में एक फरमान जारी कर अंग्रेजो को सुरत में थॉमस एल्डबर्थ के अधीन व्यापारिक कोठी खोलने की इजाजत दी।
- पूर्वी तट पर अंग्रेजों ने अपना प्रथम व्यापारिक कोठी मसूलीपट्टनम में 1611 ई. में खोला जबकि पश्चिमी तट पर सूरत में 1613 ई. में व्यापारिक कोठी स्थापित किया। पहली बार सूरत में 1608 ई. में व्यापारिक कोठी स्थापित करने का प्रयास किया गया था।
- 1615 ई. में सम्राट जेम्स प्रथम ने सर टॉमस रो को अपना राजदूत बनाकर मुगल सम्राट जहांगीर के दरबार में भेजा रो फरवरी 1619 तक भारत में रहा , रो जहांगीर एवं खुर्रम ( शाहजहां ) से अंग्रेजों के लिए कुछ व्यापारिक छूट प्राप्त करने में सफल हुआ।
- 1632 ई. में गोलकुंडा के सुल्तान ने अंग्रेजों को एक सुनहला फरमान दिया जिसके अनुसार अंग्रेज सुल्तान को 500 पैगोडा वार्षिक कर देकर गोलकुंडा राज्य के बंदरगाह पर स्वतंत्रता पूर्वक व्यापार कर सकते थे।
- 1639 ई. में अंग्रेज फ्रांसिस डे ने चंद्रगिरी के राजा से मद्रास पट्टे पर लिया एवं वही एक किलाबंद कोठी का निर्माण किया इस कोठी का नाम फोर्ट सेंट जॉर्ज पड़ा यही फोर्ट सेंट जॉर्ज कालांतर में कोरोमंडल तट पर अंग्रेजी मुख्यालय बना।
- 1661 ई. में पुर्तगाली राजकुमारी कैथरीन ऑफ ब्रेगेंजा एवं ब्रिटेन के राजकुमार चार्ल्स द्वितीय का विवाह हुआ इस अवसर पर दहेज के रूप में पुर्तगालियों ने चार्ल्स द्वितीय को मुंबई प्रदान किया।
- 1668 ई. में चार्ल्स द्वितीय ने मुंबई को 10 पाउंड के वार्षिक किराए पर ईस्ट इंडिया को दे दिया।
- 1687 ई. में अंग्रेजों ने पश्चिमी तट का मुख्यालय सूरत से हटाकर मुंबई को बनाया।
- गेराल्ड औंगियार ( 1669 – 1677 ) सूरत का प्रेसिडेंट एवं मुंबई का गवर्नर ) ने मुंबई शहर की स्थापना की।
बंगाल के शासक शाहशुजा सर्वप्रथम 1651 ई. में अंग्रेजो को व्यापारिक छूट की अनुमति दी , इस अनुमति को निशान कहते हैं।- 1698 ई. में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी ने 3 गांव सूतानुति ,कालीकट एवं गोविंदपुर की जमीनदारी 1200 रुपए भुगतान कर प्राप्त की और यहां पर फोर्ट विलियम का निर्माण किया चार्ल्स आयर फोर्ट बिलियम के प्रथम प्रेसिडेंट हुए। कालांतर में यही कोलकाता नगर कह जिसकी नीव जॉर्ज चारनौक ने रखी।
- भारत में फ्रांसीसीयों की प्रथम कोठी फ्रैंको कैरों के द्वारा सूरत में 1668 ई.में स्थापित की गई।
- 1674 ई.में फ्रांसीसी कंपनी के निदेशक फ्रेंकविस मार्टिन ने वालीकोंडापुर के सूबेदार शेर खां लोदी से पुदुचेरी नामक एक गांव प्राप्त किया जो कालांतर में पांडिचेरी के नाम से जाना गया।
- प्रथम कर्नाटक युद्ध 1746 – 48 ई. में आस्ट्रिया के उत्तराधिकारी युद्ध से प्रभावित था।1748 में हुई ए – ला शापल की संधि के द्वारा ऑस्ट्रिया का उत्तराधिकार युद्ध समाप्त हो गया और इसी संधि के तहत प्रथम कर्नाटक युद्ध समाप्त हुआ।
- दूसरा कर्नाटक युद्ध 1749 -54 में हुआ। इस युद्ध में फ्रांसीसी गवर्नर डुप्ले की हार हुई उसे वापस बुला लिया गया और उसकी जगह पर गोडेहू को भारत में अगला फ्रांसीसी गवर्नर बनाया गया। पांडिचेरी की संधि ( जनवरी 1755 ई. ) के साथ युद्ध विराम हुआ।
- कर्नाटक का तीसरा युद्ध 1756- 63 ई. के बीच हुआ जो 1756 ई. में शुरू हुए सप्तवर्षीय युद्ध का ही एक अंश था पेरिस की संधि होने पर यह युद्ध समाप्त हुआ।
- 1760 ई. में अंग्रेजी सेना ने सर आयरकुट के नेतृत्व में वांडीवाश की लड़ाई में फ्रांसीसीयों को बुरी तरह हराया।
- 1761 ई. में अंग्रेजों ने पांडिचेरी को फ्रांसीसीयों से छीन लिया।
- 1763 ई. में हुई पेरिस संधि के द्वारा अंग्रेजों ने चंद्रनगर को छोड़कर शेष अन्य प्रदेशों को लौटा दिया , जो 1749 ई. तक फ्रांसीसी कब्जे में थे यह प्रदेश भारत की आजादी तक फ्रांसीसियों के कब्जे में रहे।
बंगाल पर अंग्रेजों का आधिपत्य
- मुगल साम्राज्य के अंतर्गत आने वाले प्रांतों में बंगाल सर्वाधिक संपन्न राज्य था।
- मुर्शिद कुली खां स्वतंत्र शासक था परंतु वह नियमित रूप से मुगल बादशाह को राजस्व भेजता था।
- मुर्शीद कुली खान ने अपनी राजधानी ढाका से मुर्शिदाबाद ( भागीरथी नदी के तट ) पर स्थानांतरित की। इसने इजारेदारी प्रथा प्रारंभ की तथा कृषकों को तकावी ऋण प्रदान किया। ( खेती के लिए अग्रिम कर्ज )
- इसका उत्तराधिकारी इसका दामाद शूजाउद्दीन हुआ।
- 1740 ई. के गिरिया के युद्ध में सरफराज को मारकर बिहार के सर सूबेदार अलीवर्दी खां बंगाल का नवाब बना इसने अपनी शासनकाल में मुगलों को राजस्व देना बंद कर दिया । इसके शासनकाल में बंगाल इतना समृद्धिशाली बन गया कि बंगाल को भारत का स्वर्ग कहा जाने लगा।
- इसका उत्तराधिकारी इसका दमाद सिराजुद्दौला हुआ।
- 20 जून 1756 ई.को कालकोठरी की त्रासदी नामक घटना घटी। इस घटना के रचयिता जेड हॉलवेल के अनुसार नवाब सिराजुद्दौला ने 20 जून की रात में 146 अंग्रेज व्यक्तियों को एक छोटी-सी कोठरी में बंद कर दिया था अगले दिन सुबह 146 में से केवल 23 व्यक्ति जिंदा बचे थे।
- प्लासी का युद्ध 30 जून 1757 ई. में अंग्रेजों के सेनापति रॉबर्ट क्लाइव एवं बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के बीच हुआ जिसमें नवाब अपने सेनापति मीर जाफर की धोखाधड़ी के कारण पराजित हुआ, अंग्रेजों ने मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाया।
- पलासी की लड़ाई में मोहनलाल एवं मीर मदान के नेतृत्वमें एक छोटी सेना नवाब के वफादार रही। मीर मदान लड़ते हुए मारा गया। प्लासी भागीरथी नदी के तट पर है।
- क्लाइव के हाथों की कठपुतली नवाब मीर जाफर को अंग्रेजों ने 1760 ई. में हटाकर उसके दामाद मीर कासिम को बंगाल का नवाब बनाया। मीर कासिम ने अपनी राजधानी को मुर्शिदाबाद से मुंगेर स्थानांतरित किया। बंगाल के राजधानी का क्रम है ढाका, मुर्शिदाबाद एवं मुंगेर।
- बक्सर का युद्ध 1764 ई.में अंग्रेजो एवं मीर कासिम अवध के नवाब सुजाऊधौला एवं मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय के बीच हुआ। इस युद्ध में भी अंग्रेज विजयी हुए।इस युद्ध में अंग्रेज सेनापति हेक्टर मुनरो था।
बंगाल के नवाब
1. मुर्शीद कुली खां — 1713 - 1727
2. शूजाउद्दीन — 1727 - 1739
3. सरफराज खां — 1739 - 1740
4. अलीवर्दी खां — 1740 - 1756
5. सिराजुद्दौला — 1756 - 1757
6. मीर जाफर — 1757 - 1760
7. मीर कासिम — 1760 - 1763
8. मीर जाफर — 1763 - 1765
9. निजाम - उद्दौला — 1765 - 1766
10. शैफ - उद्दौला — 1766 - 1770
11. मुबारक - उद्दौला — 1770 - 1775
मैसूर
- हैदर अली का जन्म 1722 ई .में मैसूर के कोलार जिले में हुआ था तथा 1761 ई. में वह मैसूर का शासक बना।
- हैदर अली की मृत्यु 1782 ई. में द्वितीय आंग्ल में सूर्य युद्ध के दौरान हो गई।
- हैदर अली का का उत्तराधिकारी उसका पुत्र टीपू सुल्तान हुआ।
- 1787 में टीपू ने अपनी राजधानी श्रीरंगपटनम में पादशाह की उपाधि धारण की।
- टीपू ने अपनी राजधानी श्रीरंगपट्टनम में स्वतंत्रता का वृक्ष लगवाया और साथ ही जैकोबिन क्लब का सदस्य बना।
प्रमुख युद्ध वर्ष संधि गवर्नर जनरल
प्रथम आंग्ल - मैसूर 1767 - 69 ई . मद्रास की संधि ( 1769 ई. ) लॉर्ड वेरेल्स्ट
द्वितीय आंग्ल - मैसूर 1780 - 84 ई . मंगलोर की संधि ( 1784 ई. ) वारेन हेस्टिंग्स
तृतीय आंग्ल - मैसूर 1790 - 92 ई . श्रीरंगपट्टनम की संधि ( 1792 ई. ) लॉर्ड कार्नवालिश
चतुर्थ आंग्ल - मैसूर 1799 ई. सहायक संधि लॉर्ड वेलेजली
- टीपू की मृत्यु श्रीरंगपट्टनम की आखिरी युद्ध यानी चतुर्थ – आंग्ल मैसूर युद्ध के दौरान 1799 ई .में हो गई, टीपू सुल्तान को शेर ए मैसूर कहा जाता था।
- टीपू सुल्तान के राजसी झंडे पर शेर की तस्वीर होती थी।
- 1760 में वांडीवाश का युद्ध हुआ जिसमें अंग्रेजों ने सर आयरकुट के नेतृत्व में लाली के नेतृत्व वाली फ्रांसीसी सेना को पराजित किया।
सिख एवं अंग्रेज
- सिक्खों संप्रदाय की स्थापना का श्रेय गुरुनानक को है।
- गुरु नानक बादशाह बाबर एवं हुमायूं के समकालीन थे।
- गुरु नानक ने गुरु लंगर नामक निशुल्क सहभागी भोजनालय स्थापित किए।
- गुरु नानक की मृत्यु 1538 ई.में करतारपुर में हुई थी।
- गुरु अंगद सिक्खों के दूसरे गुरु थे इनका प्रारंभिक नाम लहना था।
- गुरुमुखी लिपि का आरंभ अंगद ने किया।
- सिक्खों के तीसरे गुरु अमर दास थे।
- हिंदुओं से अलग विवाह पद्धति लवण को गुरु अमर दास ने प्रचलित किया था।
- अकबर ने गुरु अमरदास से गोविंदवाल जाकर भेंट की और गुरु पुत्री बीवी भानी को कई गांव दान में दिए।
- बीबी भानी के पति रामदास सिक्खों के चौथे गुरु हुए।
- गुरु रामदास ने अमृतसर नमक जलाशय खुदवाया और अमृतसर नगर की स्थापना की।
- गुरु अर्जुन सिक्खों के पांचवे गुरु हुए इन्होंने सिखों के धार्मिक ग्रंथआदि ग्रंथ की रचना की।
- अर्जुन ने अमृतसर जलाशय के मध्य में हरमंदर साहब का निर्माण कराया।
- राजकुमार खुसरो की सहायता करने के कारण जहांगीर ने 1606 में गुरु अर्जुन को मरवा दिया।
- सिक्खों के छठे गुरु हरगोविंद इन्होंने सिखों को सैन्य संगठन का रूप दिया तथा अकाल तख्त या ईश्वर की सिंहासन का निर्माण करवाया।
- सिक्खों के सातवें गुरु हरराय हुए।
- सिक्खों के आठवें गुरु हरकिशन हुए। उनकी मृत्यु चेचक से हो गई।
- सिक्खों के नवे गुरु तेग बहादुर हुए।इस्लाम स्वीकार नहीं करने के कारण औरंगजेब ने इन्हें शीशगंज में गुरुद्वारा के निकट मरवा दिया।
- सिक्खों के दसवें एवं अंतिम गुरु गुरु गोविंद सिंह हुए इनका जन्म 1666 ई .में पटना में हुआ था।
- गुरु गोविंद सिंह अपने को सच्चा बादशाह कहा। गुरु गोविंद सिंह ने लोगों को अपने नाम के अंत में सिंह शब्द जोड़ने के लिए कहा था।
- गुरु गोविंद सिंह ने फारसी में जफरनामा लिखा थे।
- 1699 ई. में बैसाखी के दिन गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की और पाहुल प्रणाली की शुरुआत भी गुरु गोविंद सिंह ने की थी।
- गुरु गोविंद सिंह की हत्या 1708 ई. में नांदेड़ नामक स्थान पर गुल खान नामक पठान ने कर दी।
- गुरु गोविंद सिंह की मृत्यु के बाद उसके शिष्य बंदा बहादुर ने सिखों का नेतृत्व संभाला।
- 1716 ई .में फर्रुखशियार द्वारा बंदा बहादुर की हत्या कर दी गई।
- कपूर सिंह के नेतृत्व में 1748 में दल खालसा की स्थापना हुई , कपूर सिंह की मृत्यु के बाद जस्सा सिंह अहलूवालिया ने दल खालसा को 12 स्वतंत्र मिशल में विभाजित कर दिया। जिसमें भंगी मिसल सबसे शक्तिशाली था। सुपरचकिया मिसल को आधुनिक पंजाब के निर्माण का श्रेय दिया जाता है।
- प्रथम आंग्ल सिख युद्ध 1845 – 46 ( लाहौर की संधि ) में हुआ एवं द्वितीय आंग्ल सिख युद्ध 1848 – 49 ( अमृतसर की संधि ) में हुआ।
सामाजिक – धार्मिक पुनर्जागरण
ब्रह्म समाज
- राम मोहन राय को भारतीय पुनर्जागरण का जनक माना जाता है उनका जन्म 22 मई 1772 को हुगली जिले में राधा नगर में हुआ था।
- राजा राममोहन राय ने 1809 में एकेश्वरवादियों का उपहार नामक पुस्तक लिखी।
- राजा राममोहन राय ने आत्मीय सभा एवं वेदांत सोसाइटी की स्थापना की।
- राजा राममोहन राय ने डेविड हेयर की सहायता से कोलकाता में हिंदू कॉलेज की स्थापना की।
- 20 अगस्त 1828 को राजा राममोहन राय ने ब्रह्म सभा की स्थापना की जिसे बाद में ब्रह्म समाज कहा गया।
- राजा राममोहन राय की मृत्यु ब्रिस्टल में 27 सितंबर 1833 को हुई थी।
प्रार्थना समाज
- केशव चंद्रसेन से प्रभावित होकर महाराष्ट्र में महादेव गोविंद रानाडे और आत्माराम पांडुरंग ने 1867 में प्रार्थना समाज की स्थापना की।
- रानाडे को पश्चिम भारत में सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अग्रदूत माना जाता है एवं उन्हें महाराष्ट्र का सुकरात भी कहा जाता है।
वेद समाज
- केशव चंद्र की मद्रास यात्रा से प्रभावित होकर श्रीधरलू नायडू ने मद्रास में वेद समाज की स्थापना की।
आर्य समाज
- दयानंद सरस्वती का जन्म 1824 में गुजरात के काठियावाड़ में हुआ ।उनके बचपन का नाम मूल शंकर था।
- उनके प्रथम गुरु स्वामी पूर्णानंद थे जिन्होंने मूल शंकर का नाम दयानंद सरस्वती रखा।
- दयानंद ने 1874 में हिंदी भाषा में सत्यार्थ प्रकाश की रचना की जिसे आर्य समाज का बाइबल कहा जाता है।
- आर्य समाज की स्थापना 10 अप्रैल 1875 को मुंबई में मानिक चंद्र की वाटिका में स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा की गई।
- उन्होंने वेदों की ओर लौटो और भारत भारत वासियों के लिए है जैसे नारे दिए।
- दयानंद सरस्वती को भारत का मार्टिन लूथर भी कहा जाता है।
- पाश्चात्य शिक्षा के समर्थकों ने हंसराज और लाला लाजपत राय के नेतृत्व में लाहौर में 1886 में डीएवी स्कूल की स्थापना की।
- दयानंद सरस्वती की मृत्यु 30 अक्टूबर 1883 को अजमेर में हुई।
यंग बंगाल आंदोलन
- पाश्चात्य विचारधारा के समर्थक हेनरी विवियन डेरेजिओ ने इस आंदोलन की स्थापना की।
- डेरेजिओ को आधुनिक भारत का प्रथम राष्ट्रवादी कवि कहा जाता है।
रामकृष्ण मिशन
- रामकृष्ण के बचपन का नाम गदाधर चट्टोपाध्याय था और वह कोलकाता के दक्षिणेश्वर कली मंदिर के पुजारी थे।
- स्वामी विवेकानंद रामकृष्ण के शिष्य थे , तथा इनका जन्म 1863 में कोलकाता में हुआ था , इनका मूल नाम नरेंद्र नाथ दत्त था।
- विवेकानंद ने 1897 में कोलकाता में बेलूर नामक स्थान पर रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।
- विवेकानंद ने 11 सितंबर 1893 में अमेरिका के शिकागो के सेंट कोलंबस हाल में आयोजित प्रथम विश्व धर्म सम्मेलन में हिस्सा लिया। सम्मेलन में जाने से पहले महाराज खेतड़ी के सुझाव पर उन्होंने अपना नाम नरेंद्रनाथ दत्त से बदलकर स्वामी विवेकानंद रखा।
- वे मुंबई से पेनिनसुलर जहाज से रवाना हुए उन्हें मिसेज हाल नामक महिला के प्रयत्न से सम्मेलन में प्रवेश मिला।
- आयरिस महिला मार्केट नोबेल विवेकानंद की शिष्या बनी जिन्हें भारत में सिस्टर निवेदिता के नाम से जाना जाता है।
थियोसोफिकल सोसाइटी
- मैडम ब्लावत्सकी और कर्नल ऑल्काट 1875 में न्यूयॉर्क में थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना की थी।
- आड्यार मद्रास में इसका अंतर्राष्ट्रीय कार्यालय 1882 में खोला गया।
- एनी बेसेंट 1888 में इस समिति की सदस्य बनी और 1907 में इस समिति की अध्यक्ष बनी।
- एनी बेसेंट ने 1898 में बनारस में सेंट्रल हिंदू कॉलेज की स्थापना की जो आगे चलकर 1916 में मदन मोहन मालवीय के प्रयासों से बनारस हिंदू विश्वविद्यालय बना।
अलीगढ़ आंदोलन
- सर सैयद अहमद खान अलीगढ़ आंदोलन का नेतृत्व किया।
- सैयद अहमद ने 1864 में कोलकाता में साइंटिफिक सोसायटी और 1875 में अलीगढ़ मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना की जो 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना।
देवबंद आंदोलन
- देवबंद आंदोलन की स्थापना मोहम्मद कासिम नानोतवी एवं रशीद अहमद गंगोही ने 1866 में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के देवबंद नामक स्थान में की।
अहमदिया आंदोलन
- अहमदिया आंदोलन की स्थापना 1889 में मिर्ज़ा गुलाम अहमद ने किया , इस आंदोलन की शुरुआत गुरदासपुर जिले के कादियान नामक स्थान से हुआ इसलिए इसे कादियानीआंदोलन भी कहा जाता है।
सती प्रथा प्रतिबंध
लॉर्ड विलियम बैंटिक के समय 1829 में नियम xv11के तहत सती प्रथा को प्रतिबंधित किया गया।
विधवा पुनर्विवाह
- 1856 के विधवा पुनर्विवाह अधिनियम के नियम xv द्वारा विधवा विवाह को वैध करार देते हुए पैदा होने वाले बच्चों को वैध माना गया , इसके लागू होने के समय भारत का गवर्नर लॉर्ड कैनिंग था।
- डीके करवे ने पुणे में विधवा आश्रम की स्थापना की।
- विष्णु शास्त्री पंडित ने 1850 में विडो रीमैरिज संगठन की स्थापना की।
1857 का विद्रोह
- 1857 की क्रांति के पीछे सामाजिक , सांस्कृतिक , आर्थिक व तात्कालिक कारक थे । इस विप्लव का तात्कालिक कारण चर्बी वाला कारतूस था।
- 29 मार्च 1857 को बैरकपुर की छावनी में 34वी एन आई रेजीमेंट के मंगल पांडे ने लेफ्टिनेंट बाग और जनरल हुसन की हत्या कर दी , मंगल पांडे बलिया ( उत्तरप्रदेश ) के रहने वाले थे इस घटना के बाद उन्हें फांसी दे दी गई।
- विद्रोह 10 मई 1857 को मेरठ से शुरू हुआ था।
* 1857 के विद्रोह के समय इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बिस्कॉट पामर्स्टन थे और भारत का गवर्नर जनरल लॉर्ड कैनिंग था ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया थी। - तात्या टोपे को उनके जमींदार मित्र मान सिंह ने धोखा देकर पकड़वा दिया के बाद उन्हें 18 अप्रैल 1859 को फांसी दे दी गई।
- बी डी सावरकर ने 1908 में थे इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस नामक पुस्तक लिखी।
- भारतीय इतिहासकार अशोक मेहता ने अपनी पुस्तक द ग्रेट रिबेलीयन में इसे राष्ट्रीय विद्रोह कहां।
- 1857 के विद्रोह के समय लंदन टाइम्स के संवाददाता डब्ल्यू एच रसल ने भारत की यात्रा की थी।
- 1857 के विद्रोह के बाद भारत का शासन ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों से निकलकर ब्रिटिश क्राउन के हाथों में चला गया।
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के विभिन्न चरण
राष्ट्रवादी आंदोलन का प्रथम चरण ( 1885 – 1905 )
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 1885 में ए ओ हूम द्वारा की गई थी , 1884 में भारतीय राष्ट्रीय संघ की स्थापना की थी जिसका प्रथम अधिवेशन 28 दिसंबर 1885 को मुंबई स्थित ग्वालियर टैंक मैदान के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत विद्यालय में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में कुल 72 सदस्यों ने हिस्सा लिया था इसी अधिवेशन में दादा भाई नौरोजी के सुझाव पर भारतीय राष्ट्रीय संघ का नाम बदलकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस रखा गया।
- व्योमेश चंद्र बनर्जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष थे।
- सुरेंद्रनाथ बनर्जी के संगठन नेशनल कांफ्रेंस का विलय कांग्रेस में 1886 में हुआ। इस समय भारत का वायसराय लॉर्ड डफरिन तथा ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ग्लैड स्टोन थे।
कांग्रेस से जुड़े विवादित वक्तव्य
* कर्जन - कांग्रेस लड़खड़ाकर गिर रही है भारत में रहते हुए मेरी इच्छा है कि मैं उसे शांतिपूर्वक करने में मदद कर सकूं।
* बंकिम चंद्र चटर्जी - कांग्रेस के लोग पद के भूखे हैं।
* तिलक - यदि वर्ष में एक बार मेंढक की तरह टर्रएंगे तो कुछ नहीं मिलेगा
* लाला लाजपत राय - कांग्रेस लॉर्ड डफरिन के दिमाग की उपज है।
* अश्विनी कुमार दत्त -कांग्रेस के सम्मेलन 3 दिन का तमाशा है।
* विपिन चंद्र पाल - कांग्रेस याचना करने वाली संस्था है।
- कांग्रेस ने ए ओ हुम की मृत्यु के बाद 1912 में उन्हें कांग्रेस का जनक घोषित किया। दादा भाई नौरोजी को ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया कहा जाता था।
* कांग्रेस के प्रथम - w c बनर्जी ( मुंबई , 1885 )
* कांग्रेस के प्रथम मुस्लिम अध्यक्ष - बदरुद्दीन तैयब्जी ( मद्रास , 1887 )
* कांग्रेस के प्रथम अंग्रेज अध्यक्ष - जार्ज्युले ( इलाहाबाद , 1888 )
* प्रथम महिला जिसने कांग्रेस अधिवेशन को संबोधित किया - कादम्बिनी गांगुली , कलकत्ता 1890 )
* कांग्रेस के प्रथम महिला अध्यक्ष - एनी बेसेंट ( कलकत्ता , 1917 )
* सबसे ज्यादा समय तक अध्यक्ष - अबुल कलाम आजाद
( 1940 - 45 )
* भारत के स्वतंत्रता के समय अध्यक्ष - जे बी कृपलानी
कांग्रेस के प्रमुख अधिवेशन
* बनारस अधिवेशन ( 1905 ) - अध्यक्ष : गोपालकृष्ण गोखले
* कलकत्ता अधिवेशन ( 1906 ) - अध्यक्ष : दादा भाई नौरोजी
* सूरत अधिवेशन ( 1907 ) - अध्यक्ष : रासबिहारी घोष
* लखनऊ अधिवेशन ( 1916 )- अध्यक्ष : अंबिका चरण मजमूदार
* लाहौर अधिवेशन ( 1929 )- पंडित जवाहर लाल नेहरू
* करांची अधिवेशन ( 1931 ) - अध्यक्ष : वल्लभ भाई पटेल
* त्रिपुरी अधिवेशन ( 1939 ) - अध्यक्ष : पहले सुभाष चंद्र बोस फिर राजेंद्र प्रसाद
* सुभाष चंद्र बोस ने इस्तीफा देकर 1939 में फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की।
* गांधी - इरविन समझौता। ( 1931 )
* गांधी ने कहा था गांधी मर सकता है परंतु गांधीवाद नहीं।
राष्ट्रवादी आंदोलन का द्वितीय चरण ( 1905 – 19 )
बंगाल का विभाजन ( 1905 )
- बंगाल का विभाजन का निर्णय कर्जन द्वारा 1905 में लिया गया था।
- बंगाल को बांटने का प्रस्ताव 3 दिसंबर 1903 को ब्रिटिश संसद में रखा गया तथा 20 जुलाई 1905 को बंगाल विभाजन के निर्णय की घोषणा हुई।
- विभाजन के बाद एक भाग में पूर्वी बंगाल और असम सम्मिलित थे जिसकी राजधानी ढाका थी और दूसरा भाग पश्चिम बंगाल , बिहार और उड़ीसा मिलकर बना था जिसकी राजधानी कोलकाता थी।
- 7 अगस्त 1905 को कोलकाता के टाउन हॉल में स्वदेशी आंदोलन की घोषणा की गई।
- 1905 में कांग्रेस के बनारस अधिवेशन में स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन का अनुमोदन किया गया। रविंद्र नाथ टैगोर ने इसी समय अमर सोनार बांग्ला नमक गीत लिखा जो वर्तमान में बांग्लादेश का राष्ट्रगान है।
- कांग्रेस के 1906 के कोलकाता अधिवेशन में दादा भाई नौरोजी ने पहली बार स्वराज शब्द का उल्लेख किया। ( स्वराज शब्द का पहली बार प्रयोग स्वामी दयानंद सरस्वती ने किया था )
मुस्लिम लीग की स्थापना( 1906 )
- बंगाल विभाजन की घोषणा के बाद 1 अक्टूबर 1906 को आगा खान के नेतृत्व में मुसलमान का एक सिस्ट मंडल वायसराय लॉर्ड मिंटो से शिमला में मिला।
- 1908 में अमृतसर में आयोजित मुस्लिम लीग की बैठक में मुसलमान के लिए एक अलग निर्वाचन मंडल की मांग की गई जिसकी पूर्ति 1909 के मामले मिंटो सुधार द्वारा की गई।
कांग्रेस का विभाजन ( 1907 )
कांग्रेस के 1907 के सूरत अधिवेशन में उदारवादी रासबिहारी घोष को कांग्रेस का अध्यक्ष बनना चाहते थे लेकिन गरमपंथी लाला लाजपत राय को अध्यक्ष बनना चाहते थे अंतत रासबिहारी घोष अध्यक्ष बनने में सफल हुए इस अधिवेशन में 1906 के कोलकाता अधिवेशन में पास कराए गए कर प्रस्ताव स्वदेशी बहिष्कार , राष्ट्रीय शिक्षा एवं स्वशासन को लेकर विवाद गहरा गया और गर्मपंथी और उदारवादियों के बीच संघर्ष के कारण अंतत कांग्रेस में विभाजन हो गया
दिल्ली दरबार ( 1911 )
- दिल्ली दरबार का आयोजन दिसंबर 1911 में वायसराय लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय के समय ब्रिटिश सम्राट जार्ज पंचम एवं महारानी विलियम मेरी के भारत आगमन पर उनके स्वागत हेतु किया गया।
- अरुंडेल कमेटी के सिफारिश पर बंगाल का विभाजन 12 दिसंबर 1911 को रद्द कर दिया गया और कोलकाता की जगह दिल्ली को भारत की राजधानी बनाया गया।
- 1 अप्रैल 1912 को दिल्ली भारत की नई राजधानी बनी।
- आधुनिक दिल्ली की रूपरेखा एडमिन लुटियंस ने हरबर्ट वेकर के साथ मिलकर तैयार की।
- लुटियंस ने दिल्ली में वायसराय भवन ( वर्तमान में राष्ट्रपति भवन ) संसद भवन , इंडिया गेट आदि का निर्माण कराया।
- लॉर्ड इरविन वायसराय भवन में निवास करने वाले पहले वायसराय थे।
प्रथम विश्व युद्ध ( 1914 )
- प्रथम विश्व 28 जुलाई 1914 को शुरू हुआ जिसने एक तरफ जर्मनी , ऑस्ट्रिया , हंगरी और तुर्की थे तथा दूसरी और फ्रांस , रूस , इंग्लैंड , इटली और जापान थे
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इस विश्व युद्ध में ब्रिटिश साम्राज्य का समर्थन किया।
- गांधी जी ने लंदन में एंबुलेंस कोर बनाई जो युद्ध में घायल सैनिकों को धोता था।
लखनऊ समझौता ( 1916 )
- होमरूल लीग आंदोलन
- एनी बेसेंट और तिलक ने मिलकर होम रूल लीग आंदोलन शुरू किया।
- तिलक द्वारा 28 अप्रैल 1916 को पुणे में होम रूल लीग की स्थापना की गई।
- एनी बेसेंट ने अपनी लीग की स्थापना सितंबर 1916 में की।
एनी बेसेंट ने न्यू इंडिया एवं कामनव्हील पत्रिका का प्रकाशन किया। - गोखले के सर्वेंट आफ इंडिया सोसाइटी के सदस्यों को लीग में प्रवेश की अनुमति नहीं थी।
- वैलेंटाइन शिरोल ने अपनी पुस्तक इंडियन अनटेस्ट में तिलक को भारतीय अशांति का जनक कहा था जिसके लिए तिलक ने उन पर मानहानि का मुकदमा किया।
मांटेग्यू घोषणा ( 20 अगस्त 1947 )
- मांटेग्यू घोषणा भारत सरकार अधिनियम 1919 का आधार बनी इस घोषणा को उदारवादियों ने भारत के मैग्नाकार्टा की संज्ञा दी। तिलक ने मांटेग्यू घोषणा को सूर्य विहीन उषाकाल कहा।
क्रांतिकारी आंदोलन का प्रथम चरण ( 1905 – 1915 )
महाराष्ट्र
- 22 जून 1897 को दामोदर एवं बालकृष्णन चापेकर ने पुणे के प्लेग कमिश्नर रेन्ड एवं एमहार्स्ट की हत्या की हत्या के आरोप में चापेकर बंधुओं को फांसी दे दी गई।
- विनायक दामोदर सावरकर एवं गणेश सावरकर ने गुप्त संस्था मित्र मेला का गठन किया जिसे 1904 में अभिनव भारत कहा जाने लगा।
बंगाल
- बंगाल के प्रथम क्रांतिकारी संगठन अनुशीलन समिति की स्थापना 1902 में मिदनापुर में ज्ञानेंद्र नाथ वासु एवं कोलकाता में जतिंद्रनाथ बनर्जी ,भूपेंद्र नाथ दत्त एवं वरिंदर नाथ घोष द्वारा की गई। इसी समय ब्रह्माबांधव उपाध्याय द्वारा संध्या एवं अरविंद घोष द्वारा वंदे मातरम प्रकाशित किया गया।
- प्रफुल्ल चाकी एवं खुदीराम बोस ने मुजफ्फरपुर के मजिस्ट्रेट किंग्सफोर्ड की हत्या का प्रयास किया। प्रफुल्ल चाकी ने आत्महत्या कर ली एवं खुदीराम बोस को फांसी दे दी गई।
विदेश में क्रांतिकारी गतिविधियां
- श्याम जी कृष्ण वर्मा ने 1905 में लंदन में इंडिया होम रूल सोसाइटी की स्थापना की।
- इंडिया हाउस के सदस्य मदनलाल ढींगरा ने 1 जुलाई 1909 को कर्जन वाली की लंदन में हत्या कर दी।
- मैडम भीकाजी कामा जिन्हें भारतीय क्रांति की मां कहा जाता है।
गदर पार्टी ( 1913 )
- गदर पार्टी की स्थापना 1913 में लाला हरदयाल ने की थी इसका मुख्यालय सैन फ्रांसिस्को ( अमेरिका ) था।
- राजा महेंद्र प्रताप ने जर्मनी के सहयोग से काबुल में 1915 में अंतरिम भारत सरकार की स्थापना की।
कमागाटामारू ( 1914 )
- यह एक जापानी जहाज था जिससे प्रवासी भारतीयों को कनाडा पहुंचने के लिए गुरु दत्त सिंह किराए पर लिया था लेकिन उन्हें कनाडा नहीं उतरने दिया गया और वापस कोलकाता लाया गया।यात्रियों के अधिकार के लिए सोहनलाल पाठक के नेतृत्व में शोर कमेटी का गठन किया गया।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का तृतीय चरण ( 1919 – 47 )
महात्मा गांधी ( 1869 – 1948 )
- मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर में हुआ। उनके पिता कर्मचंद गांधी एवं माता पुतलीबाई थी।
- गांधी जी का विवाह 1883 में कस्तूरबा गांधी के साथ हुआ।
- गांधी जी के चार पुत्र थे हरिलाल , रामदास मणिलाल , और देवदास।
- महात्मा गांधी 1889 से 1891 तक इंग्लैंड में रहकर कानून की पढ़ाई की।
- गांधी जी 1892 में दक्षिण अफ्रीका के एक व्यापारी दादा अब्दुल्ला के मुकदमे की पारी भी हेतु दक्षिण अफ्रीका गए एवं 9 जनवरी 1915 को दक्षिण अफ्रीका से वापस भारत आए।
- वे फरवरी – मार्च 1915 में शांतिनिकेतन में रहे जहां रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें महात्मा की उपाधि प्रदान की थी और गांधीजी ने भी रवींद्रनाथ टैगोर को गुरुदेव कहना शुरू कर दिया।
- गोपाल कृष्ण गोखले गांधी जी के राजनीतिक गुरु थे।
- ब्रिटिश सरकार ने गांधी जी को केसर ए हिंद की उपाधि प्रदान की थी
- गांधी जी ने अपनी पुस्तक हिंद स्वराज में स्वराज की विस्तृत व्याख्या की ।
- उन्होंने नवजीवन ( गुजराती ) एवं यंग इंडिया ( अंग्रेजी ) का संपादन किया ।उन्होंने हरिजन पत्र का प्रकाशन 1933 में आरंभ किया।
- द स्टोरी ऑफ़ माय एक्सपेरिमेंट विद ट्रुथ गांधीजी की आत्मकथा है।
- गांधी जी ने अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे साबरमती आश्रम की स्थापना की।
- गांधी जी की हत्या 30 जनवरी 1948 को दिल्ली के बिड़ला भवन में प्रार्थना सभा में जाते हुए नाथूराम गोडसे ने कर दी।
- चंपारण सत्याग्रह ( 1917 )
- अहमदाबाद मिल मजदूर हड़ताल ( 1918 )
- खेड़ा सत्याग्रह ( 1918 )
- रॉलेट एक्ट ( 1919 )
- रोलेट एक्ट या द अनार्किकल इन रिवॉल्यूशनरी क्राइम एक्ट 1919 इसके तहत अंग्रेज सरकार जिसको चाहे बिना मुकदमा चलाएं जेल में बंद कर सकती थी।इसे बिना वकील बिना अपील बिना दलील का कानून कहा गया।। स्वामी श्रद्धानंद ने 30 मार्च 1919 को दिल्ली में आंदोलन की कमान संभाली।
जलियांवाला बाग हत्याकांड ( 1919 )
- अमृतसर के जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल 1919 को किचलु सत्यपाल की गिरफ्तारी के विरुद्ध एक शांतिपूर्ण सभा का आयोजन किया गया । इस समय पंजाब का लेफ्टिनेंट गवर्नर सर माइकल ओ डायर था। सभा स्थल पर मौजूद जनरल डायर ने बिना किसी सूचना के भीड़ पर गोली चलवा दी जिसमें करीब 1000 लोग मारे गए।
- इस हत्याकांड के विरोध में रविंद्र नाथ टैगोर ने नाइट की उपाधि वापस कर दी।वायसराय की कार्यकारिणी के सदस्य शंकर नायक ने त्यागपत्र दे दिया।
- सरकार ने हत्याकांड की जांच के लिए हंटर आयोग गठित किया। इसमें पांच अंग्रेज तथा तीन भारतीय थे।
खिलाफत आंदोलन
- भारत के मुसलमान तुर्की के सुल्तान को खलीफा मानते थे लेकिन ब्रिटिश सरकार ने मई 1920 को संपन्न सिवर्स की संधि द्वारा तुर्की का विभाजन कर दिया।
- 17 अक्टूबर 1919 को खिलाफत दिवस मनाया गया।
- 23 नवंबर 1919 को दिल्ली में खिलाफत आंदोलन का अधिवेशन हुआ जिसकी अध्यक्षता गांधी जी ने की।
असहयोग आंदोलन ( 1920 – 22 )
- सहयोग आंदोलन चलाए जाने का निर्णय सितंबर 1920 में लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में कोलकाता के विशेष अधिवेशन में लिया गया। महात्मा गांधी ने असहयोग प्रस्ताव स्वयं पेश किया।
- 1920 के नागपुर अधिवेशन में असहयोग आंदोलन चलाने का प्रस्ताव पारित किया गया। नागपुर अधिवेशन के समय अध्यक्ष विजय राघवाचार्य थे और असहयोग के प्रस्ताव को सी. आर. दास ने प्रस्तुत किया।
- गांधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन 1 अगस्त 1920 को शुरू किया गया इसी दिन बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु हो गई।
- गांधी जी ने ब्रिटिश शासन द्वारा दी गई उपाधियां केसर ए हिंद , जुलूस युद्ध पदक एवं बोअर पदक लौटा दिए ।जमनालाल बजाज ने राय बहादुर की उपाधि लौटा दी।
- विदेशी वस्त्रों की होली जलाई जाने को रविंद्र नाथ टैगोर ने निष्ठुर बर्बादी की संज्ञा दी।
चौरी – चौरा कांड ( 1922 )
- 5 फरवरी 1922 को गोरखपुर स्थित चौरी चौरा नामक स्थान पर आंदोलनकारी ने पुलिस के 22 जवानों को थाने के अंदर जिंदा जला दिया
- गांधी जी ने 12 फरवरी 1912 को बारदोली में हुई बैठक में असहयोग आंदोलन को समाप्त कर दिया ।
- असंतोष फैलाने के आरोप में गांधी जी को 1922 में 6 वर्ष की कैद की सजा सुनाई गई थी।
स्वराज पार्टी ( 1923 )
- असहयोग आंदोलन की समाप्ति के बाद कांग्रेस में एक नई विचारधारा ने जन्म लिया इसके सूत्रधार मोतीलाल नेहरू एवं सी. आर. दास थे। इन्हें परिवर्तन वादी कहा गया क्योंकि यह विधानमंडल में प्रवेश करके आंदोलन को आगे बढ़ना चाहते थे।
- कांग्रेस के 1922 के गया अधिवेशन में मोतीलाल नेहरू और सी. आर. दास ने कांग्रेस से त्यागपत्र दे दिया और मार्च 1923 को इलाहाबाद में कांग्रेस खिलाफत स्वराज पार्टी की स्थापना की इसके अध्यक्ष सी . आर. दास एवं महासचिव मोतीलाल नेहरू थे।
- 16 जून 1925 में सी . आर. दास की मृत्यु के बाद स्वराज पार्टी कमजोर होने लगी।
क्रांतिकारी आंदोलन का दूसरा चरण
- अक्टूबर 1924 में सचिंद्रनाथ सानयाल , योगेश चटर्जी एवं राम प्रसाद बिस्मिल ने कानपुर में हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन एसोसिएशन की स्थापना की। इस संस्था ने 1925 को लखनऊ के काकोरी नामक स्थान पर 8 डाउन ट्रेन पर डकैती डाली और सरकारी खजाने को लूट लिया इस घटना को काकोरी कांड कहा जाता है।
- सितंबर 1928 में दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना की गई इसके संस्थापक भगत सिंह , सुखदेव , भगवती चरण ,वोहरा एवं चंद्रशेखर आजाद थे।
- 1928 में साइमन कमीशन का विरोध करते समय पंजाब केसरी लाला लाजपत राय पर लाठी चार्ज के कारण मृत्यु हो गई। भगत सिंह , राजगुरु और चंद्रशेखर ने इसका बदला 17 दिसंबर 1928 को सांडर्स की हत्या करके लिया।
- 23 मार्च 1931 को लाहौर षड्यंत्र केस में भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु को फांसी दे दी गई।
- 27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में पुलिस मुठभेड़ के दौरान चंद्रशेखर आजाद ने स्वयं को गोली मार ली ।
- बंगाल में सूर्य सैया इंडियन रिपब्लिकन आर्मी की स्थापना की जिसने 18 अप्रैल 1930 को चटगांव पुलिस शास्त्रआगार पर कब्जा किया।
- सचिंद्र सान्याल ने बंदी जीवन एवं भगवती चरण बौहरा ने फिलोसोफी ऑफ़ बंबई की रचना की थी।
साइमन कमीशन ( 1927 )
- साइमन कमीशन का गठन 8 नवंबर 1927 को जॉन साइमन की अध्यक्षता में किया गया। इसके सभी सदस्य ब्रिटिश संसद के अंग्रेज थे इसलिए इसे श्वेत कमीशन भी कहा गया।
नेहरू रिपोर्ट ( 1928 )
- भारत सचिव लॉर्ड वर्किंग हेड ने भारतीयों को यह चुनौती दी कि वह एक ऐसा संविधान बनाएं जो सभी दल को मंजूर हो।
- इसी परिपेक्ष में मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में नौ सदस्य समिति बनाई गई।
लाहौर अधिवेशन ( 1929 )
- लाहौर अधिवेशन के दौरान रावी नदी के तट पर 31 दिसंबर 1929 की आधी रात को जवाहरलाल नेहरू ने तिरंगा झंडा फहराया।
- 26 जनवरी 1930 को आधुनिक भारत के इतिहास में पूर्ण स्वाधीनता दिवस के रूप में मनाया गया ।इसके साथ ही पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव भी पारित किया गया।
सविनय अवज्ञा आंदोलन ( 1930 )
- फरवरी 1930 में साबरमती आश्रम में हुई कांग्रेस की बैठक में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करने की बागडोर गांधी जी के हाथ में सौंपी गई।
- गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अपने 78 अनुयायियों के साथ साबरमती आश्रम से दांडी तक 241 मिल की यात्रा की और 6 अप्रैल 1930 को दांडी में नमक कानून का उल्लंघन किया और देशभर में यह आंदोलन शुरू हो गया।
- सुभाष चंद्र बोस ने दांडी यात्रा की तुलना नेपोलियन के एल्बम से पेरिस यात्रा तथा मुसोलिनी के रोम मार्च से की।
- 4 मई की रात को गांधी जी को गिरफ्तार कर यरवदा जेल भेज दिया गया। गांधी जी की गिरफ्तारी के बाद सरोजिनी नायडू और इमाम साहब ने धरसाना के नमक कारखाने पर धावा बोला। पुलिस के अत्याचार को देख अमेरिकी पत्रकार वेब मिलर ने कहा – मैंने इतना कष्टदायक अत्याचार कभी नहीं देखा था।
प्रथम गोलमेज सम्मेलन ( 13 नवंबर 1930 – 19 जनवरी 1931 )
- भारत का 89 सदस्य प्रतिनिधि मंडल वायसरॉय आफ इंडिया नामक जहाज से सम्मेलन में भाग लेने के लिए लंदन गया। इस सम्मेलन का उद्घाटन जॉर्ज पंचम ने किया तथा अध्यक्षता रामजी मैकडोनाल्ड ने की। कांग्रेस ने इस सम्मेलन में भाग नहीं लिया।
गांधी – इरविन समझौता ( 5 मार्च 1931 )
- इससे दिल्ली समझौता भी कहा जाता है।
- एम . आर. जयकर , तेज बहादुर सप्रू और श्रीनिवास शास्त्री के प्रयासों से गांधी इरविन समझौता हुआ।
- इससे समझौते के अंतर्गत सविनय अवज्ञा आंदोलन स्थगित किया गया, भारतीयों को नमक बनाने का अधिकार मिला और गांधी जी ने दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने का फैसला किया।
- कराची में कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में ( अध्यक्ष – बल्लभभाई पटेल ) गांधी इरविन समझौते को स्वीकार किया गया।
- सरोजिनी नायडू ने गांधी तथा इरविन को दो महात्मा कहा था।
दूसर गोलमेज सम्मेलन ( 7 सितंबर 1931 से 1 दिसंबर 1931 )
- कांग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि गांधी जी थे, वे एस एस राजपूताना नामक जहाज से लंदन गए। इस दौरान गांधी जी लंदन में किंग्सेहाल में प्रवास किया
द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन ( 1932 – 34 )
- भारत आकर गांधी जी ने लॉर्ड वेलिंगटन से मिलना चाहा लेकिन वायसराय ने मिलने से मना कर दिया।
- 4 जनवरी 1932 को आंदोलन शुरू होने के कुछ ही घंटे में गांधी नेहरू, गफ्फार खान आदि सिर्फ नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया और कांग्रेस को गैर कानूनी संस्था घोषित कर दिया गया।
पूना समझौता ( 1932 )
- सांप्रदायिक पंचाट ( कम्युनल अवार्ड )के विरुद्ध गांधी जी ने यरवदा जेल में 20 सितंबर 1932 को आमरण अनशन शुरू कर दिया।
- मदन मोहन मालवीय , राजगोपालाचारी , डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के प्रयासों से महात्मा गांधी व भीमराव अंबेडकर के बीच 26 सितंबर 1932 को पूना समझौता हुआ।
तीसरा गोलमेज सम्मेलन 17 नवंबर 1932 – 24 दिसंबर 1932 )
- इसमें कुल 86 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, कांग्रेस इसमें शामिल नहीं हुई।
- तेज बहादुर सप्रू व भीमराव अंबेडकर तीनों गोलमेज सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले नेता थे।
- गांधी जी ने 1932 में हरिजन कल्याण हेतु अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की।
- उन्होंने हरिजन नामक साप्ताहिक पत्र का भी प्रकाशन किया।
भारत सरकार अधिनियम , ( 1935 )
- इस अधिनियम में भारत में संघात्मक शासन व्यवस्था की बात की गई।
- यह अधिनियम अंग्रेजों द्वारा भारत में लागू किया गया अंतिम संवैधानिक प्रयास था।
प्रांतीय चुनाव और मंत्रिमंडल का गठन ( 1737 )
- 1935 के अधिनियम के अंतर्गत 1937 में प्रांतीय चुनाव हुए।
कांग्रेस समाजवादी पार्टी
- आचार्य नरेंद्र देव ,जयप्रकाश नारायण और अच्युत पटवर्धन ने 1934 में कांग्रेस समाजवादी पार्टी की स्थापना की।
- श्यामलाल ने झंडा गीत की रचना की।
- मोहम्मद इकबाल ने गीत सारे जहां से अच्छा की रचना की।
- वंदे मातरम बंकिम चंद्र चटर्जी की पुस्तक आनंद मठ से लिया गया है।
अगस्त प्रस्ताव ( 1940 )
- कांग्रेस ने 1940 के रामगढ़ अधिवेशन में प्रस्ताव पारित किया कि यदि भारत सरकार एक अंतरिम राष्ट्रीय सरकार का गठन करें तो कांग्रेस द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश का समर्थन करेगी।
- इस प्रस्ताव के जवाब में लीनलिथगो ने 8 अगस्त 1940 को अगस्त प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिसमें भारत को डोमिनियन स्टेट का दर्जा देने की बात कही गई।
मुस्लिम लीग की पाकिस्तान की मांग
- कैंब्रिज विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले एक मुस्लिम छात्र चौधरी रहमत अली ने 28 जनवरी 1933 को नाऊ आर नेवर नामक एक पत्र में पृथक पाकिस्तान राज्य की परिकल्पना की।
- मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन में पहली बार अलग पाकिस्तान के निर्माण का प्रस्ताव पारित किया गया, इस सम्मेलन में अध्यक्ष मोहम्मद अली जिन्ना थे।
व्यक्तिगत सत्याग्रह ( 17 October 1940 )
- व्यक्तिगत सत्याग्रह 17 अक्टूबर को महाराष्ट्र के पवनार आश्रम से शुरू हुआ। गांधी जी ने प्रथम सत्याग्रही के रूप में विनोबा भावे को मनोनीत किया , दूसरे सत्याग्रही पंडित जवाहरलाल नेहरू थे। इस आंदोलन को दिल्ली चलो सत्याग्रह भी कहा जाता है।
क्रिप्स प्रस्ताव ( 1942 )
- ब्रिटिश प्रधानमंत्री चर्चिल ने 11 मार्च 1942 को शेफर्ड क्रिप्स के नेतृत्व में क्रिप्स मिशन की घोषणा की।
- इसके अनुसार युद्ध के बाद भारत को डोमिनियन राज्य का दर्जा एवं संविधान निर्मात्री परिषद बनाने का प्रस्ताव था।
- गांधी जी ने क्रिप्स प्रस्तावों को पोस्ट डेटेड चेक कहा।
- 11 अप्रैल 1942 को क्रिप्स प्रस्तावों को वापस ले लिया गया।
भारत छोड़ो आंदोलन ( 1942 )
- 14 जुलाई 1942 को अबुल कलाम आजाद की अध्यक्षता में वर्धा में कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में भारत छोड़ो आंदोलन पर एक प्रस्ताव पारित किया।
- 7 अगस्त 1942 को मुंबई के ग्वालियर टैंक मैदान में अबुल कलाम आजाद की अध्यक्षता में कांग्रेस कमेटी की बैठक हुई।
- गांधी के भारत छोड़ो प्रस्ताव को 8 अगस्त 1942 को स्वीकार कर लिया गया।
- भारत छोड़ो प्रस्ताव का प्रारूप मौलाना अबुल कलाम आजाद ने बनाया था।
- करो या मरो का नारा महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन के समय दिया था।
- यह आंदोलन 8 – 9 अगस्त 1942 से प्रारंभ होना था लेकिन 9 अगस्त को सूर्योदय के पहले ही गांधी जी नेहरू , पटेल , मौलाना आजाद , सरोजिनी नायडू आदि को गिरफ्तार कर लिया गया। गांधी जी को कस्तूरबा गांधी और सरोजिनी नायडू के साथ पुणे के आगा खान पैलेस में रखा गया , जवाहरलाल नेहरू को अल्मोड़ा जेल में , राजेंद्र प्रसाद को बांकीपुर जेल ( पटना ) में और जयप्रकाश नारायण को हजारीबाग जेल में रखा गया। मौलाना अबुल कलाम आजाद को बकुडा जेल में रखा गया।
- उषा मेहता ने 14 अगस्त 1942 को सर्वप्रथम मुंबई से रेडियो प्रसारण का कार्य किया।
- गांधी जी ने 10 फरवरी 1943 को जेल में 21 दोनों का उपवास करने की घोषणा की।
- इस आंदोलन के दौरान गांधी जी के साथ अमेरिकी पत्रकार लुई फिशर भी थे।
- 23 मार्च 1943 को मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान दिवस मनाने का निश्चय किया।
आजाद हिंद फौज
- सितंबर 1941 में कैप्टन मोहन सिंह ने मलाया में आजाद हिंद फौज की स्थापना की नींव डाली।
- रासबिहारी बोस ने मार्च 1942 में टोक्यो में भारतीय स्वतंत्रता लीग तथा आजाद हिंद फौज बनाने की घोषणा की।
- बॉस ने 1942 में भारतीय युद्ध बंधिया को भर्ती कर 10000 सैनिकों का दल गठित किया जिससे फ्री इंडिया लीजन कहा गया।
- 21 अक्टूबर 1943 को सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में आजाद हिंद फौज के सर्वोच्च सेनापति के रूप में स्वतंत्र भारत की अस्थाई सरकार का गठन किया। यहीं पर उन्होंने तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा और दिल्ली चलो का नारा दिया।
- जुलाई 1944 को आजाद हिंद रेडियो के प्रसारण में बॉस ने गांधी जी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया।
- वर्ष 2012 में सूचना के अधिकार में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में यह ज्ञात हुआ कि भारत सरकार द्वारा महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता की आधिकारिक उपाधि प्रदान नहीं की गई है।
- अंग्रेज सरकार ने आजाद हिंद फौज के गिरफ्तार मेजर शाहनवाज खान, कर्नल प्रेम सहगल और गुरु दयाल सिंह पर नवंबर 1945 में दिल्ली के लाल किले में मुकदमा चलाया।
- बचाव पक्ष के वकीलों में भुलाभाई देसाई के नेतृत्व में तेज बहादुर सप्रू , अरुणा आसफ अली , नेहरू आदि ने अदालत में बहस की।
- इन अधिकारियों को फांसी की सजा सुनाई गई लेकिन वेवेल ने उनकी सजा माफ कर दी।
शाही नौसेना विद्रोह ( 1946 )
- एच एम आई एस तलवार के भारतीय नौ सैनिकों ने अंग्रेजों की भेदभाव पूर्ण नीति के विरुद्ध 18 फरवरी 1946 को मुंबई में विद्रोह कर दिया। वल्लभ भाई पटेल एवं जिन्ना के हस्तक्षेप से यह विद्रोह शांत हुआ।
वैवेल योजन और शिमला सम्मेलन
- वैवेल योजना मुख्यतः कार्यकारी परिषद से संबंधित थी।वैवेल योजना के अनुसार 25 जून 1945 को शिमला में सम्मेलन शुरू हुआ इसमें कांग्रेस का नेतृत्व अब्दुल कलाम आजाद ने किया।
कैबिनेट मिशन योजना ( 24 मार्च 1946 )
- कैबिनेट मिशन 24 मार्च 1946 को भारत आया सर स्टेफर्ड क्रिप्स , अलेक्जेंडर और पेथिक लारेंस इसके सदस्य थे ।
- गांधी जी ने कैबिनेट मिशन का समर्थन किया था।
- कैबिनेट मिशन योजना के अंतर्गत जुलाई 1946 को संविधान सभा का गठन किया गया।
- 16 अगस्त 1946 को मुस्लिम लीग ने सीधी कार्यवाही दिवस की शुरुआत की।
- 2 सितंबर 1946 को नेहरू की अध्यक्षता में अंतरिम सरकार का गठन हुआ।
एटली घोषणा पत्र ( 20 फरवरी 1947 )
- ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने हाउस ऑफ कॉमंस में 20 फरवरी 1947 को यह घोषणा की कि अंग्रेज 30 जून 1948 के पहले भारतीयों के हाथ सत्ता सौंप देना चाहते हैं।
- लॉर्ड माउंटबेटन को भारत का नया वायसराय नियुक्त किया गया।
माउंटबेटन योजना ( 3 जून 1947 )
- लॉर्ड माउंटबेटन 24 मार्च 1947 को भारत के 34वे और अंतिम गवर्नर जनरल बनाकर भारत आए।
- माउंटबेटन ने 15 अगस्त 1947 को भारतीयों को सत्ता सौंपने का दिन निर्धारित किया इस योजना को डिक्की वर्ड योजना भी कहा जाता है।
भारत स्वतंत्रता अधिनियम ( 1947 )
- 4 जुलाई 1947 को ब्रिटिश संसद में भारतीय स्वतंत्रता विधेयक पेश किया गया।
- ब्रिटिश संसद ने 18 जुलाई 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 पारित किया।
- 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान और 15 अगस्त 1947 को भारत अस्तित्व में आया।
- पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना बने और लियाकत अली पहले प्रधानमंत्री बने।
- माउंटबेटन स्वतंत्र भारत का प्रथम गवर्नर जनरल बना और जवाहरलाल नेहरू प्रथम प्रधानमंत्री बने
- स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय और अंतिम गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी बने।
ब्रिटिश काल में भारत में शिक्षा का विकास
- भारत में आधुनिक शिक्षा का जन्मदाता चार्ल्स ग्रांट को कहा जाता है।
चार्ल्स वुड का डिस्पैच ( 1854 )
- इसका गठन लॉर्ड डलहौजी के कार्यकाल में हुआ था।
- इससे भारतीय शिक्षा का मैग्नाकार्टा भी कहा जाता है।
हंटर शिक्षा आयोग ( 1882 – 1883 )
- इसका गठन लॉर्ड रिपन के कार्यकाल में किया गया।
रैले कमीशन ( 1902 )
- वायसराय लॉर्ड कर्जन के शासनकाल में इसका गठन किया गया।
- रैले की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय आयोग की स्थापना हुई।
- 1904 में भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम पारित हुआ।
सैंडलर आयोग ( 1917 – 19 )
- इसने 12 वर्षीय स्कूली शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा के बाद स्नातक की उपाधि के लिए उचित व्यवस्थाओं का प्रावधान किया।
हॉर्टोग समिति (1929 )
- इसका प्रमुख उद्देश्य था कि प्राथमिक शिक्षा में सुधार एवं केवल प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा का प्रावधान।
वर्धा योजना ( 1937 )
- गांधी जी द्वारा प्रस्तुत इस योजना में 7 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था की।
सार्जेंट योजना ( 1944 )
- इसके प्रमुख प्रावधान थे – प्राथमिक विद्यालय एवं हाई स्कूल की स्थापना , 6 से 11 वर्ष के बच्चों को निशुल्क शिक्षा।
भारत में समाचार पत्रों का विकास
- भारत में प्रथम समाचार पत्र बंगाल गजट था जिसे 1780 में जेम्स आगस्टस हिक्की ने प्रकाशित किया।
- भारत में राजा राममोहन राय ने राष्ट्रीय प्रेस की स्थापना की और संवाद कौमुदी चंद्रिका और मिरात – उल – अखबार का प्रकाशन किया इन्हें भारतीय पत्रकारिता का अग्रदूत कहा जाता है।
- मिरात – उल – अखबार फारसी भाषा का पहला समाचार पत्र था, जाम – ए – जहांनुमा , उर्दू का मुंबई समाचार पत्र गुजराती भाषा का प्रथम अखबार था।
- हिंदी में प्रकाशित होने वाला प्रथम अखबार 1826 में कानपुर से जुगल किशोर द्वारा संपादित उदंड मार्तंड था।
- किस्ट्रोदास पाल जो हिंदू पेट्रियट के संरक्षक थे उन्हें भारतीय पत्रकारिता का राजकुमार कहा जाता है।
- तिलक ने अंग्रेजी में मराठा एवं मराठी में केसरी का प्रकाशन किया।
- बंगाली भाषा का पहला समाचार पत्र दिग्दर्शन था।
- मालवीय मरकंद उपनाम से कविताएं लिखते थे।
प्रेस के विरुद्ध प्रतिबंध
- चार्ल्स नेतकॉफ को समाचार पत्रों का मुक्तिदाता कहा जाता है।
- प्रेस नियंत्रण अधिनियम , 1799 :- वेलेजली द्वारा लाए गए इस अधिनियम ने सभी समाचार पत्रों पर नियंत्रण लगाते हुए संपादक , मुद्रक तथा मलिक का नाम अखबार में देना अनिवार्य कर दिया।1858 में हेस्टिंग ने इस अधिनियम को समाप्त कर दिया।
- लाइसेंस रेगुलेशन एक्ट , 1823 :- ( एडम्स के कार्यकाल में ) मुद्रक तथा प्रशासन को मुद्रानालयक स्थापित करने से पूर्व लाइसेंस लेना अनिवार्य था।
- लिबरेशन ऑफ़ द इंडियन प्रेस अधिनियम, 1835 ( चार्ल्स मेटकॉफ ) :- यह एक उदार अधिनियम था।
- वर्नाकुलर प्रेस एक्ट (लॉर्ड लिटन ) , 1878 :-इससे गैंगिंग एक्ट भी कहते हैं इसमें मुद्रानालयो की जमानत को मजिस्ट्रेट रद्द कर सकता था।
- न्यूज़ पेपर एक्ट , 1908 :- जो समाचार पत्र हिंसा या हत्या को बढ़ावा देते हैं उनकी संपत्ति जब्त की जा सकती थी।
- इंडियन प्रेस इमरजेंसी एक्ट , 1931 ( लॉर्ड इर्विन ) :- इसका उद्देश्य 1910 के प्रेस संबंधी नियम को पुनः लागू करना था।
प्रमुख उपाधियां उपाधि प्राप्तकर्ता दाता
* महात्मा महात्मा गांधी रविंद्र नाथ टैगोर
* अर्ध नंगा फकीर महात्मा गांधी विंस्टन चर्चिल
* देशद्रोही फकीर महात्मा गांधी विंस्टन चर्चिल
* वन मैन बाउंड्री फोर्स महात्मा गांधी लॉर्ड माउंटबेटन
* राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सुभाष चंद्र बोस
* नेताजी सुभाष चंद्र बोस एडोल्फ हिटलर
* गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर महात्मा गांधी
* सरदार वल्लभभाई पटेल बारडोली की महिलाएं
* कायदे आजम मो. अली जिन्ना महात्मा गांधी
* देश नायक सुभाष चंद्र बोस रवींद्रनाथ टैगोर
* देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद महात्मा गांधी
ब्रिटिश शासन की भू – राजस्व नीतियां
स्थाई बंदोबस्त
- यह 1793 में लॉर्ड कॉर्नवालिस द्वारा बिहार बंगाल और उड़ीसा में लागू की गई।
- किसने की भूमि संबंधी अधिकार समाप्त कर जमींदार को भूमि मालिक बनाया गया।
रैयतवाड़ी व्यवस्था
- इसके जन्मदाता थॉमस मुनरो एवं कैप्टन रीड थे।
- यह व्यवस्था मद्रास एवं मुंबई में लागू की गई।
- इसके अंतर्गत प्रत्येक जमीन धारक को भू- स्वामी स्वीकार करके उसके साथ लगान की शर्तें तय की गई।
महालवाड़ी बंदोबस्त
- इस पद्धति के जन्मदाता हाल मैकेंजी थे।
- इस व्यवस्था के अंतर्गत दक्कन के कुछ जिले संयुक्त प्रांत, आगरा , अवध , मध्य प्रांत और पंजाब के कुछ हिस्से में शामिल थे।
भारत के गवर्नर – जनरल एवं वायसराय
बंगाल का गवर्नर
रॉबर्ट क्लाइव ( 1757 – 60 एवं 1765 – 67 )
- क्लाइव बंगाल का पहला गवर्नर जनरल था।
- अवध के नवाब सुज़ाउधौला एवं मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय के साथ 1765 में इलाहाबाद की संधि हुई।
- 1765 में बंगाल में द्वैध शासन लागू किया गया।
कंपनी के अधीन गवर्नर – जनरल
वारेन हेस्टिंग्स ( 1774 – 1785 )
- रेगुलेटिंग एक्ट 1773 के तहत यह बंगाल का पहला गवर्नर – जनरल बना।
- हेस्टिंग्स को भारत में न्यायिक सेवा का जन्मदाता माना जाता है।
- 1784 में विलियम जोंस के साथ मिलकर एशियाटिक सोसाइटी की स्थापना की।
- वह पहला गवर्नर जनरल था जिस पर इंग्लैंड लौटने पर महाभियोग चलाया गया।
- इसी के समय 1782 में जोनाथन डंकन ने बनारस में संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना की
- इसी के समय में 1780 में भारत का पहला समाचार पत्र द बंगाल गजट का प्रकाशन जेम्स आगस्टस हिकी ने किया था।
- हेस्टिंग्स ने बंगाली ब्राह्मण नंदकुमार पर झूठा आरोप लगाकर न्यायालय में फांसी किस हजार दिलवा दी थी।
- 1784 का पिट्स इंडिया एक्ट
- 1784 का रोहिल्ला युद्ध
- 1775 – 82 का प्रथम मराठा युद्ध तथा 1782 में सालबाई की संधि।
- 1780 – 84 का द्वितीय में मैसूर युद्ध
- बंगाल में द्वैध शासन की समाप्ति।
- कोलकाता को बंगाल की राजधानी घोषित किया।
लॉर्ड कार्नवालिस ( 1786 – 93 )
- इससे भारत में सिविल सेवा का जनक माना जाता है।
- इसने बंगाल बिहार में अस्थाई बंदोबस्त लागू किया।
- कार्नवालिस की मृत्यु उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में हुई।
- तृतीय मैसूर युद्ध ( 1790- 92 ) तथा श्रीरंगपट्टनम की संधि 1792
- बंगाल में अस्थाई बंदोबस्त ( 1793 )
सर जॉन शोर ( 1793 – 98 )
- इसके समय 1795 में निजाम तथा मराठों के बीच खेड़ा की लड़ाई हुई।
लॉर्ड वेलेजली ( 1798 – 1805 )
- भारतीय राज्यों को अंग्रेजी परिधि में लाने के लिए सहायक संधि प्रणाली का प्रयोग किया
- सहायक संधि करने वाले राज्य थे- हैदराबाद ( 1798 ), मैसूर ( 1799 ), तंजौर ( 1799 ) ,अवध ( 1801 ) , पेशवा ( 1802 ) , बरार एवं भोसले ( 1803 ), सिंधिया( 1804 ) एवं अन्य सहायक संधि करने वाले राज्य जोधपुर , जयपुर , मछली ,बूंदी तथा भरतपुर।
- इंदौर के होलकारों ने ने सहायक संधि स्वीकार नहीं की थी।
- 1800 में कोलकाता में फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की।
- चतुर्थ मैसूर युद्ध ( 1799 )
- द्वितीय मराठा युद्ध ( 1803 – 05 )
- बेसिन की संधि ( 1802 )
सर जॉर्ज बार्लो ( 1805 – 1807 )
- रियासतों में अहस्तक्षेप की नीति का समर्थक है।
- बेल्लौर का सिपाही विद्रोह ( 1806 )
लॉर्ड मिंटो प्रथम ( 1807 – 1813 )
- 1809 में महाराजा रणजीत सिंह के साथ अमृतसर की संधि की।
लॉर्ड हेस्टिंग्स ( 1813 – 1823 )
- अंग्रेज नेपाल युद्ध ( 1814 – 16 ) तथा संगोली की संधि ( 1816 )
- तृतीय मराठा युद्ध ( 1817 – 19 ) तथा मराठा परिसंघ का कंपनी के साम्राज्य में विलय, मुंबई प्रेसिडेंसी की स्थापना ( 1818 )
- सिंधिया के साथ संधि ( 1817 )
- मद्रास के गवर्नर टॉमस मुनरो द्वारा रैयतवाड़ी बंदोबस्त लागू किया गया। ( 1820 )
लॉर्ड एम्सहर्ट ( 1823 – 1828 )
- प्रथम आंग्ल वर्मा युद्ध ( 1824 – 26 )
- 1826 में बर्मा एवं अंग्रेजों के बीच यंडावू की संधि
- भरतपुर का अधिग्रहण ( 1826 )
लॉर्ड विलियम बैंटिक ( 1828 – 35 )
- 1833 के चार्टर एक्ट द्वारा बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल बना दिया गया , इस प्रकार विलियम बैंटिक भारत का प्रथम गवर्नर जनरल बना।
- सती प्रथा का अंत ( 1829 ), करनाल स्लिमैन की सहायता से ठगी का अंत ( 1830 )
- 1835 में बैंटिक ने कोलकाता में कोलकाता मेडिकल कॉलेज की स्थापना की।
चार्ल्स मेटकॉफ ( 1835 – 36 )
- इन्हें भारतीय प्रेस का मुक्तिदाता के रूप में जाना जाता है।
लॉर्ड आकलैंड ( 1836 – 42 )
- प्रथम आंग्ल – अफगान युद्ध ( 1838 – 42 )एवं ग्वालियर के साथ युद्ध ( 1843 )
- रणजीत सिंह की मृत्यु ( 1839 )
लॉर्ड एलेनबरो ( 1842 – 44 )
- 1843 में दास प्रथा का अंत।
- रविवार की छुट्टी की शुरुआत 1843 से हुई।
लॉर्ड हार्डिंग ( 1844 – 48 )
- प्रथम आंग्ल – सिख युद्ध ( 1845 – 46 )तथा लाहौर की संधि ( 1846 )
- उड़ीसा में खोंडो के बीच प्रचलित नरबलि की प्रथा को समाप्त किया।
लॉर्ड डलहौजी ( 1848 – 56 )
- रेलवे माइनुट, ( 1853 ) में मुंबई से थाने तक रेल का परिचालन।
- 1854 में डाक टिकट का प्रचलन, पहली बार सार्वजनिक निर्माण विभाग तथा लोक शिक्षा विभाग ( 1854 ) की स्थापना।
- द्वितीय अंग्रेज – सिख युद्ध ( 1848 – 49 ) तथा पंजाब का कंपनी साम्राज्य में विलय ( 1849 )
- निचले वर्मा या पेगू का अधिग्रहण ( 1852 )
- शिमला को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया
- वायसराय ( 1858 ई. के अधिनियम द्वारा )
लॉर्ड कैनिंग ( 1856 – 62 )
- यह भारत में कंपनी का अंतिम गवर्नर जनरल तथा ब्रिटिश सम्राट के अधीन नियुक्त भारत का पहला वायसराय था।
- 1857 के विद्रोह के समय कैनिंग गवर्नर जनरल था।
- यूरोपीय सेना द्वारा श्वेत विद्रोह ( 1859 )
- भारतीय विधि संहिता (1859)भारतीय दंड संहिता ( 1860 ) का निर्माण।
- कैनिंग के समय में ही ( 1856 ) ई .में विधवा पुनर्विवाह अधिनियम स्वतंत्र रूप से लागू हुआ
- भारत में पहला कानूनी विधवा विवाह कोलकाता में 7 दिसंबर 1856 ई. को ईश्वरचंद्र विद्यासागर की प्रेरणा और देखरेख में संपन्न हुआ।
- 1857 में कैनिंग के समय ही महालेखा परीक्षक पद का सृजन किया गया जो स्वतंत्रता के बाद नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक कहलाया।
- व्यपगत सिद्धांत यानी राज्य – विलय की नीति को समाप्त कर दिया।
लॉर्ड एल्गिन प्रथम ( 1862 – 63 )
- इसने बहावी आंदोलन का दमन किया।
- 1863 में धर्मशाला ( हिमाचल प्रदेश ) में इसकी मृत्यु हो गई।
सर जॉन लारेंस ( 1864 – 69 )
- 1865 में भारत एवं यूरोप के बीच प्रथम समुद्री टेलीग्राम सेवा शुरू हुई।
- अफगानिस्तान के संबंध में इसने अहहस्तक्षेप की नीति अपनाई जिसे शानदार निष्क्रियता के नाम से जाना जाता है।
लॉर्ड मेयो ( 1869 – 72 )
- काठियावाड़ में राजकोट कॉलेज तथा अजमेर में मेयो कॉलेज ( 1872 ) की स्थापना।
- भारतीय सांख्यिकी सर्वेक्षण एवं कृषि एवं वाणिज्य विभाग की स्थापना।
- 1872 में भारत की प्रथम जनगणना।
- एक अफगान शेर अली अफरीदी ने 8 फरवरी 1872 में चाकू मारकर इसकी हत्या कर दी।
लॉर्ड नॉर्थब्रूक ( 1872 – 76 )
- पंजाब में कूका विद्रोह।
- नेटिव मैरिज एक्ट ( 1872 ) पारित कर अंतरजातीय विवाह को मान्यता।
- इसी के समय में स्वेज नहर खुल जाने से भारत एवं ब्रिटेन के बीच व्यापार में वृद्धि हुई।
- प्रिंस ऑफ़ वेल्स की भारत यात्रा ( 1875 )
लॉर्ड लिटन ( 1876 – 80 )
- महारानी विक्टोरिया को केसर – ए – हिंद की उपाधि प्रदान करने के लिए दिल्ली दरबार का आयोजन।
- वर्नाकुलर प्रेस एक्ट ( 1878 ) के तहत भारतीय भाषा के समाचार पत्रों पर प्रतिबंध लगाया गया।
- आर्म्स एक्ट ( 1878 ) पारित।
- सिविल सेवा परीक्षा के उम्र को घटकर 21 से 19 वर्ष किया गया।
- द्वितीय अफगान युद्ध ( 1878 – 80 )
- इसी के समय में ( 1878 ) ई .में भारतीय शस्त्र अधिनियम पारित हुआ जिसके तहत शस्त्र रखने एवं व्यापार करने के लिए लाइसेंस को अनिवार्य कर दिया गया।
लॉर्ड रिपन ( 1880 – 84 )
- फ्लोरेंस नाइटेंगल ने इन्हें भारत का उद्धारक कहा।
- इन्हें स्थानीय स्वशासन का जनक भी कहा गया।
- प्रथम वास्तविक जनगणना 1881 में हुई।
- इल्बर्ट बिल विवाद ( 1883 – 84 ) के कारण इन्हें कार्यकाल समाप्त होने से पूर्व त्यागपत्र देना पड़ा।
- अफगानिस्तान से संधि ( 1881 )
- श्रमिकों की दशा में सुधार के लिए प्रथम कारखाना अधिनियम पारित ( 1881 )
- सर विलियम हंटर की अध्यक्षता में शिक्षा आयोग की नियुक्ति ( 1882 )
- इसने सिविल सेवा में प्रवेश की अधिकतम आयु सीमा 19 से बढ़ाकर 21 वर्ष कर दिया।
लॉर्ड डफरिन ( 1884 – 88 )
- 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना।
- तृतीय वर्मा युद्ध ( 1885 – 86 )
लॉर्ड लैंसडाउन ( 1888 – 94 )
- भारत और अफगानिस्तान के मध्य सीमा निर्धारण हेतु डूरंड आयोग की स्थापना ( 1893
- कारखाना अधिनियम ( 1891 )
- सिविल सेवाओं का इंपीरियल, प्रांतीय एवं अधीनस्थ सेवाओं में वर्गीकरण।
- भारत परिषद अधिनियम ( 1892 )
लॉर्ड एल्गिन द्वितीय ( 1894 – 99 )
- अकाल की जांच के लिए लायल आयोग का गठन।
- पुणे में प्लेग का प्रकोप, चापेकर बंधुओं द्वारा दो ब्रिटिश अधिकारियों की हत्या।
लॉर्ड कर्जन ( 1899 – 1905 )
- फ्रेजर की अध्यक्षता में पुलिस आयोग एवं स्काट मानक्रिफ की अध्यक्षता में सिंचाई आयोग की स्थापना।
- मैकडॉनल्ड की अध्यक्षता में अकाल आयोग का गठन।
- 1903 में पुलिस विभाग में सी.आई.डी. की स्थापना।
- 1904 में तिब्बत में यंग हस्बैंड का अभियान भेजा।
- पूसा ( बिहार ) में कृषि अनुसंधान केंद्र की स्थापना और ( 1905 )में रेलवे बोर्ड की स्थापना
- 1905 में विक्टोरिया मेमोरियल की स्थापना।
- सर टॉमस रैले की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय आयोग की स्थापना की।
- 1904 में भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम पास किया गया।
- कोलकाता कॉरपोरेशन एक्ट ( 1899 )
- प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम ( 1904 )
- बंगाल का विभाजन ( 1905 )
- कृषि बैंक की स्थापना।
लॉर्ड मिंटो द्वितीय ( 1905 – 1910 )
- स्वदेशी आंदोलन।
- मार्ले मिंटो सुधार अधिनियम ( 1909 )
- 1907 के सूरत अधिवेशन में कांग्रेस का विभाजन।
- आगा खान द्वारा मुस्लिम लीग की स्थापना ( 1906 )
लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय ( 1910 – 16 )
- 12 दिसंबर 1911 को राजधानी कोलकाता से दिल्ली हस्तांतरित करने की घोषणा।
- 28 जुलाई 1914 को प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत।
- 1916 में वाराणसी में मदन मोहन मालवीय द्वारा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय एवं हिंदू महासभा की स्थापना।
- 1913 में रविंद्र नाथ टैगोर को साहित्य का नोबेल पुरस्कार।
- सम्राट जार्ज पंचम की भारत यात्रा के उपलक्ष में दिल्ली दरबार का आयोजन ( 1911 )
लॉर्ड चेम्सफोर्ड ( 1916 – 21 )
- पूना में डी.के. कर्वे द्वारा महिला विश्वविद्यालय की स्थापना।
- तिलक एवं एनी बेसेंट द्वारा पृथक – पृथक होम रूल लीग की स्थापना।
- कांग्रेस का लखनऊ अधिवेशन ( 1916 )
- गांधी जी की दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश वापसी के उपरांत साबरमती आश्रम की स्थापना ( 1916 ), खेड़ा सत्याग्रह ( 1918 ) , अहमदाबाद में सत्याग्रह ( 1918 )
- मांटेग्यू की घोषणाएं ( 1917 )
- भारत सरकार अधिनियम ( 1919 )
- रोलेट एक्ट ( 1919 ) , जलियांवाला बाग हत्याकांड ( 1919 )
- असहयोग एवं खिलाफत आंदोलन प्रारंभ।
- पुणे में महिला विश्वविद्यालय की स्थापना ( 1916 )तथा शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए सैंडलर कमीशन की नियुक्ति ( 1917 )
- बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु ( 1920 )
लॉर्ड रीडिंग ( 1921 – 26 )
- प्रिंस ऑफ़ वेल्स का भारत आगमन, केरल में मोपला विद्रोह ( 1921 )एम. एन. राय द्वारा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का गठन।
- 1922 में कोलकाता में विश्व भारती विश्वविद्यालय का गठन।
- चौरी – चौरा की घटना ( 5 फरवरी 1922 ) जिसके फल स्वरुप गांधी जी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया।
- काकोरी ट्रेन डकैती ( 1925 )
- स्वामी श्रद्धानंद की हत्या ( 1926 )
- सी.आर. दास तथा मोतीलाल नेहरू द्वारा स्वराज पार्टी की स्थापना।
लॉर्ड इरविन ( 1926 – 31 )
- 1930 में शारदा एक्ट पारित।
- 1927 में साइमन कमीशन की नियुक्ति
- 1931 में गांधी – इरविन समझौता
- 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज का लक्ष्य निर्धारित किया गया और 26 जनवरी 1930 को स्वतंत्रता दिवस मनाने की घोषणा की गई।
- साइमन कमीशन की भारत ( 1928 ) यात्रा तथा भारतीयों द्वारा इसका तीव्र विरोध।
- लाहौर के सहायक पुलिस अधीक्षक सांडर्स की हत्या, दिल्ली विधानसभा के कच्छ में बम विस्फोट ( 1929 ) , कारागार में जतिन दास की मृत्यु ( 1929 )।
- सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करने के उद्देश्य से गांधी जी द्वारा दांडी यात्रा ( 1930 )
- लॉर्ड इरविन द्वारा दीपावली घोषणा ( 1929 )
लॉर्ड बिलिंगडन ( 1931 – 36 )
- द्वितीय एवं तृतीय गोलमेज सम्मेलन का आयोजन।
- इंडियन मिलिट्री अकादमी देहरादून की स्थापना ( 1932 )
- भारत सरकार अधिनियम 1935 द्वारा प्रति में द्वैध शासन समाप्त और केंद्र में शुरू।
- यरवदा जेल में गांधी जी द्वारा आमरण अनशन उन्होंने पुणे समझौता ( 1932 के पश्चात अपना अनशन तोड़ा।
- अखिल भारतीय किसान सभा की स्थापना ( 1936 )
- जयप्रकाश नारायण एवं आचार्य नरेंद्र देव द्वारा कांग्रेस समाजवादी पार्टी की स्थापना ( 1934 )।
- बर्मा भारत से पृथक कर दिया गया ( 1935 )
लॉर्ड लिनलिथगो ( 1936 – 44 )
- 1 सितंबर 1939 को द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत।
- विस्टन चर्चिल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने।
- 14 जुलाई 1942 को भारत छोड़ो प्रस्ताव पारित हुआ।
- मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन ( 1940 ) में लीग द्वारा पृथक पाकिस्तान की मांग की गई। इस प्रस्ताव का प्रारूप सिकंदर हयात खान ने बनाया था और फजलुल हक ने प्रस्तुत किया था।
- वायसराय द्वारा अगस्त प्रस्ताव घोषित ( 1940 )कांग्रेस एवं मुस्लिम लीग दोनों ने इसे स्वीकार कर दिया।
- क्रिप्स मिशन का भारत आगमन।
- इसके समय में पहली बार चुनाव कराए गए।
- 1 मई 1939 ई. में सुभाष चंद्र बोस ने फॉरवर्ड ब्लॉक नाम की एक नई पार्टी बनाई।
लॉर्ड वेवेल ( 1944 – 47 )
- राजगोपालचारी ने सी. आर. फार्मूला प्रस्तुत किया।
- 24 मार्च 1946 को कैबिनेट मिशन भारत आया।
- मुस्लिम लीग ने 16 अगस्त 1946 को सीधी कार्यवाही दिवस का आयोजन किया।
- सच्चिदानंद सिन्हा की अध्यक्षता में संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई।
- वेवेल योजना एवं शिमला सम्मेलन ( 1945 )
- द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त ( 1945 )
- ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने भारत को स्वतंत्रता देने की घोषणा की ( 20 फरवरी 1947 )
लॉर्ड माउंटबेटन (( 1947 – 48 )
- 3 जून 1947 को भारत विभाजन की माउंटबेटन योजना की घोषणा की गई।
- स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर – जनरल।
- पंजाब एवं बंगाल के विभाजन हेतु रेडक्लिफ आयोग का गठन।
- 4 जुलाई 1947 को ब्रिटिश संसद में एटली के द्वारा भारतीय स्वतंत्रता विधेयक प्रस्तुत किया गया जिससे 18 जुलाई को स्वीकृति मिली।विधायक के अनुसार भारत पाकिस्तान और दो स्वतंत्र राष्ट्रों की घोषणा की गई।
चक्रवर्ती राजगोपालचारी ( 1948 – 50 )
- भारत के अंतिम तथा स्वतंत्र भारत के प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल।
- 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू के साथ ही भारत में गवर्नर जनरल का पद समाप्त हो गया।
- राजेंद्र प्रसाद गणतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति नियुक्त हुए।
राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन संबंधी प्रमुख वचन एवं नारे
* स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है - बाल गंगाधर तिलक* सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है - राम प्रसाद बिस्मिल
* सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा - मोहम्मद इकबाल
* जय हिंद - सुभाष चंद्र बोस
* हे राम - महात्मा गांधी
* जन - गण - मन अधिनायक जय हो - रविंद्र नाथ टैगोर
* व्हो लाइव्स आईएफ इंडिया डाइज है - पंडित जवाहरलाल नेहरू
* इंकलाब जिंदाबाद - हसरत मोहानी ( भगत सिंह ने क्रांतिकारी गतिविधियों के दौरान इसे प्रचलित किया )
* दिल्ली चलो - सुभाष चंद्र बोस
* करो या मरो - महात्मा गांधी
* मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश साम्राज्य के कफन में कल सिद्ध होगी - लाला लाजपत राय
* आराम हराम है - जवाहरलाल नेहरू
* भारतवर्ष को तलवार के बल पर जीत गया था और तलवार के बल पर ही उसे ब्रिटानिक कब्जे में रखा गया - लॉर्ड एल्गिन
* वंदे मातरम - बंकिम चंद्र चटर्जी
* पूर्ण स्वराज - जवाहरलाल नेहरू
* भारत छोड़ो - महात्मा गांधी
* हिंदी हिंदू हिंदुस्तान - भारतेंदु हरिश्चंद्र
* तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा - सुभाष चंद्र बोस
* समूचा भारत एक विशाल बंदी गृह है - सी. आर. दास
* यह एक ऐसा चेक था जिसका बैंक पहले ही नष्ट हो जाने वाला था -
महात्मा गांधी ( क्रिप्स प्रस्ताव के संदर्भ में )
* हमने घुटने टेक कर रोटी मांगी किंतु उत्तर में हमें पत्थर मिले - महात्मा गांधी ( सविनय अवज्ञा आंदोलन के पूर्व )
* विजय विश्व तिरंगा प्यारा - श्यामलाल गुप्ता
* वेदों की ओर लौटो - दयानंद सरस्वती